हार्मोन्स
हार्मोन्स थेरेपी
कैंसर के कुछ प्रकार के विकास के लिए हार्मोन का उपयोग कर रहे हैं। ऑन्कोलॉजी में हार्मोन थेरेपी हार्मोन के प्रभाव को ब्लॉक करने के लिए दवाओं का उपयोग करता है। कैंसर के कुछ प्रकार के लिए, यह बेकार है। बदल रहा है, जब रोग इस उपचार या gormonalnozavisimyh के प्रति संवेदनशील है की इस पद्धति के द्वारा। कैंसर के इन प्रकार में शामिल हैं: कैंसर विज्ञान स्तन; प्रोस्टेट कैंसर; डिम्बग्रंथि ट्यूमर; गर्भाशय के कैंसर; गुर्दे के घातक ट्यूमर। हार्मोन थेरेपी शरीर में हार्मोन के स्तर को बदल। वहाँ तीन तरीके से ऐसा कर रहे हैं: ग्रंथि है जो हार्मोन संश्लेषित निकालें। विकिरण चिकित्सा के साथ ग्रंथि को संबोधित करने के हार्मोन के उत्पादन की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए। हार्मोन या अन्य दवाओं है कि रोकने के लिए या हार्मोन या उनके प्रभाव का उत्पादन बंद ले रहा है। ड्रग्स, सर्जरी या कुछ अंगों की विकिरण चिकित्सा हार्मोन के स्तर को प्रभावित करते हैं। हार्मोन थेरेपी अक्सर कैंसर के इलाज के अन्य प्रकारों के साथ संयुक्त है। कभी कभी यह पहले या बाद उन्हें प्रयोग किया जाता है।
हार्मोन थेरेपी के सिद्धांत ::
वृद्धि और विकास की जरूरत के लिए हार्मोन हार्मोन पर निर्भर ट्यूमर। इस तरह के उपचार के लिए धीमी गति या बीमारी से छोड़ सकते हैं: हार्मोन के संश्लेषण अवरुद्ध; कैंसर की कोशिकाओं पर हार्मोन कार्रवाई की रोकथाम। चिकित्सकों ट्यूमर के नमूनों assays का उपयोग स्थापित करने के लिए परीक्षण किया गया: घातक कोशिकाओं की सतह पर हार्मोन रिसेप्टर्स के प्रकार; रिसेप्टर्स की संख्या; चाहे वह हार्मोन चिकित्सा प्रभावी है। उच्च हार्मोन रिसेप्टर (सकारात्मक परीक्षण) के स्तर पर, और अधिक संवेदनशील इस विधि के लिए ट्यूमर होगा। रिसेप्टर्स नहीं या बहुत कुछ (नकारात्मक परीक्षण) कर रहे हैं, तो इलाज शायद कैंसर कोशिकाओं के विकास को प्रभावित नहीं करेगा, और उपचार के अन्य तरीकों अधिक परिणाम लाएगा। हार्मोन थेरेपी और बाद में, अगर ट्यूमर हार्मोन के स्तर में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है रोग की प्रारंभिक अवस्था के रूप में प्रयोग किया जाता है। कभी कभी बीमारी के इलाज की पहली विधि के लिए उत्तरदायी है, लेकिन बाद में स्थिर जाता है हो। कुछ उदाहरणों में ट्यूमर फिर से विकसित करने के लिए शुरू होता है, और आगे हार्मोनल उपचार के लिए जवाब नहीं है। अन्य स्थितियों में, रोग की दवाएं बदलने के लिए प्रतिक्रिया करता है। उदाहरण के लिए, tamoxifen पहली बार में इस्तेमाल किया गया था, तो यह Anastrozole (Arimidex) और Letrozole (Femara) में बदल गया था।
हार्मोन थेरेपी के प्रकार ::
वहाँ हार्मोन थेरेपी के कई प्रकार हैं। चुनाव कुछ कारकों की वजह से है - ट्यूमर, मंच, व्यक्तिगत कारकों (उम्र, रजोनिवृत्ति में महिलाओं के प्रवेश) के प्रकार, कैंसर की कोशिकाओं की सतह पर हार्मोन रिसेप्टर्स की उपस्थिति।
शल्य-चिकित्सा :
हार्मोन उत्पादन ग्रंथियों के सर्जिकल हटाने हार्मोन या एंटी-हार्मोनल प्रभाव के संश्लेषण को रोकने के लिए शरीर बनाने के लिए है। इस आपरेशन या गर्भाशय के कैंसर या प्रोस्टेट कैंसर में वृषण (orchiectomy) के स्तन हटाने के उपचार में लकीर हो सकता है।
विकिरण चिकित्सा :
विकिरण हार्मोन के उत्पादन के ऊतकों को नष्ट कर देता है, इन पदार्थों के उत्पादन रोक नहीं सकता। उदाहरण के लिए, विकिरण अंडाशय करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है, एस्ट्रोजन संश्लेषण रोक नहीं सकता। विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट प्रत्येक कैंसर रोगी के लिए उपचार दर्जी की खुराक, आवृत्ति और विकिरण चिकित्सा की अवधि की गणना करता है। आमतौर पर दूरदराज के रेडियोथेरेपी का आयोजन किया।
हार्मोनल ड्रग थेरेपी :
कुछ दवाओं हस्तक्षेप हार्मोन उत्पादक कोशिकाओं हार्मोन synthesize के साथ है, जबकि दूसरों के शरीर में पदार्थ के प्रभाव को प्रभावित। हार्मोन थेरेपी कैंसर के निम्नलिखित प्रकार में प्रयोग किया जाता है:
कैंसर स्तन ; प्रोस्टेट कैंसर; गर्भाशय के कैंसर; डिम्बग्रंथि के कैंसर; गुर्दे के कैंसर।
हार्मोन गुर्दे के कैंसर ::
कभी कभी यह medroxyprogesterone (Provera) आवर्तक गुर्दे के कैंसर दवा के साथ कुछ समय के लिए बीमारी को नियंत्रित कर सकते हैं। यह हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का एक मानव निर्मित संस्करण है। वर्तमान में, यह अक्सर, गुर्दे के कैंसर के इलाज में इस्तेमाल नहीं किया है के रूप में इस तरह के जैविक उपचार के रूप में नई तकनीकों, सबसे अच्छा प्रभाव है। लेकिन इस दवा के लिए उपयुक्त हो सकता है, जो कुछ कारणों के लिए, उपचार के अन्य तरीकों को लागू नहीं है।
प्रोलैक्टिन हार्मोन्स डिसऑर्डर
प्रोलैक्टिन (Prolactin) एक प्रोटीन हॉर्मोन है जो पूर्वकाल के पिट्यूटरी ग्लैंड (anterior pituitary gland) के द्वारा स्रावित किया जाता है। ये पूर्वकाल के पिट्यूटरी ग्लैंड ब्रेन में स्थित होते है। ये मिल्क का स्राव मम्मरी ग्लैंड (mammary gland) में लैक्टेटिंग (lactating) पीरियड दौरान कर बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार को निभाता है। पिट्यूटरी ग्लैंड को मास्टर ग्लैंड कहा जाता है क्योंकि ये उन हॉर्मोन को बनाता है जो दूसरे हॉर्मोन की मात्रा को नियंत्रित करता है। सही स्वास्थय के लिए पिट्यूटरी ग्लैंड का सही रूप से कार्य करना अनिवार्य है। गर्भावस्था के दौरान प्रोलैक्टिन की मात्रा बढ़ जाती है और बच्चे के पैदा होने के बाद भी स्तनपान (breast feeding) के दौरान ये हाई रहती है। स्तनपान के महीनो के बाद ये प्रोलैक्टिन नार्मल मात्रा में आती है। गर्भावस्था के दौरान महिलाए अनेक उलझन से गुज़रती है। हर महिला का शरीर इस तरह बना है की वो अपने बच्चे को स्वस्थ अनेक प्रकार से बना सकती है। लेकिन ये करते समय उन्हें कुछ प्रकार की कठिनाई और दिक्कत का सामना करना पड़ता है। जब भी पिट्यूटरी ग्लैंड में स्राव उत्पन्न होता है तब ही प्रोलैक्टिन हॉर्मोन डिसऑर्डर बनने लगता है। ये हॉर्मोन नयी माँ में दूध को बनाता है। अगर ये हॉर्मोन अविवाहित या बिना गर्भावस्था में हुए महिला को उत्पन्न होता है तो उनके स्तन से डिस्चार्ज (breast discharge) होने लगता है। इस से सिरदर्द भी हो सकता है और साथ ही अन्य शाररीक सम्बंधित समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। प्रोलैक्टिन हॉर्मोन डिसऑर्डर । माताओं में कमी (Prolactin hormone disorder । deficiency in mothers) प्रोलैक्टिन एक हॉर्मोन है जो ब्रेन में स्तिथ पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा स्रावित किया जाता है। गर्भावस्था दौरान ये दूध को बनाता है। जो महिलाए गर्भवती नहीं होती है उनमे भी कुछ मात्रा में स्रावित होता है। ज्यादा प्रोलैक्टिन के बनने को हाइपरप्रोलैक्टेनिमिया (hyperprolactinemia) कहते है। ये हाइपरप्रोलैक्टेनिमिया उन महिलाओं में हो सकता है जो गर्भवती नहीं है जिस कारण उनके स्तन से डिस्चार्ज होता है, माहवारी अनियमित हो जाता है, ओवुलेशन (ovulation) की कमी हो जाती है और कभी- कभी सिरदर्द और रौशनी से सम्बंधित लक्षण भी उत्पन्न होते है।
प्रोलैक्टिन हॉर्मोन डिसऑर्डर के कारण ::
अधिक प्रोलैक्टिन मात्रा के कारण पिट्यूटरी ट्यूमर (अडेनोमास), हाइपोथ्य्रोइदिस्म (hypothyroidism) और मेडिकेशन जैसे ट्रैंक्विलाइज़र (tranquilizers), कुछ हाई ब्लड प्रेशर की दवाइयां, एंटी डिप्रेसंट, एंटी नौसीआ ड्रग्स (anti-nausea drugs) और ओरल कोन्त्रसप्तिव्स (oral contraceptives)।
रीक्रिएशनल ड्रग्स जैसे मारिजुआना (marijuana) भी प्रोलैक्टिन की मात्रा को बढ़ा सकता है। प्रोलैक्टिन स्राव इन कारणों के कारण भी बढ़ सकता है जैसे स्तन एग्जामिनेशन, व्यायाम, इंटरकोर्स, निप्पल उत्तेजना, स्ट्रेस, निद्रा और कुछ विशेष फ़ूड।
तीन में से एक महिला में अधिक प्रोलैक्टिन की समस्या की कोई पहचान योग्य कारण नहीं होते और 30 से 40 प्रतिशत में अधिक प्रोलैक्टिन सौम्य, बिना कैंसर के पिट्यूटरी ट्यूमर के कारण उत्पन्न होते है।
हाइपरप्रोलैक्टेनिमिया का निदान ब्लड की मात्रा में प्रोलैक्टिन से ही जांचा जाता है। इसके साथ अन्य हॉर्मोन मात्रा को भी जांचा जाता है जैसे की थाइरोइड हॉर्मोन। ट्यूमर के साइज़ और उपस्थिति के लिए MRI या CT स्कैन को किया जाता है।
वृद्धि हार्मोन
वृद्धि हार्मोन (जीएच (GH)) एक प्रोटीन पर आधारित पेप्टाइड हार्मोन है। यह मनुष्यों और अन्य जानवरों में वृद्दि, कोशिका प्रजनन और पुनर्निर्माण को प्रोत्साहित करता है। वृद्धि हार्मोन एक 191-अमाइनो अम्लों वाला, एकल-श्रंखला का पॉलिपेप्टाइड है जिसे अग्र पीयूष ग्रंथि के पार्श्विक कक्षों के भीतर सोमेटोट्रॉपिन (कायपोषी) कोशिकाओं द्वारा संश्लेषित, संचयित और स्रावित किया जाता है। सोमेटोट्रॉपिन (कायपोषी) से मतलब जानवरों में प्राकृतिक रूप से उत्पादित वृद्धि हार्मोन 1 से है, जबकि पुनःसंयोजी डीएनए (DNA) तकनीक से उत्पादित वृद्धि हार्मोन के लिये सोमाट्रॉपिन शब्द का प्रयोग किया जाता है[1] जिसका संक्षिप्त रूप मनुष्यों में "एचजीएच (HGH)" है। वृद्धि हार्मोन का प्रयोग चिकित्सा-विज्ञान में बच्चों के वृद्धि विकारों और वयस्क वृद्धि हार्मोन अल्पता के उपचार के लिये नुस्खे में लिखी जाने वाली औषधि के रूप में किया जाता है। युनाइटेड स्टेट्स में यह कानूनी रूप से केवल डाक्टर के नुस्खे पर दवाई की दुकानों में उपलब्ध है। पिछले कुछ वर्षों में, युनाइटेड स्टेट्स में कुछ डाक्टरों ने जीएच-अल्पताग्रस्त (लेकिन स्वस्थ लोगों में नहीं) अधिक उम्र के रोगियों में जीवनशक्ति बढ़ाने के लिये वृद्धि हार्मोन के नुस्खे लिखना शुरू कर दिया है। कानूनन सही होते हुए भी, एचजीएच (HGH) के इस प्रयोग की प्रभावशीलता और सुरक्षा को किसी चिकित्सकीय प्रयोग में नहीं परखा गया है। इस समय, एचजीएच (HGH) को अभी भी एक अत्यंत जटिल हार्मोन माना जाता है और इसके कार्यों में से कई के बारे में अब तक जानकारी नहीं है। उपचय-प्रोत्साहक एजेंट के रूप में, एचजीएच (HGH) का प्रयोग 1970 के दशक से खेलों में प्रतिस्पर्धियों द्वारा किया जाता रहा है और इसे आईओसी (IOC) और एनसीएए (NCCA) द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है। चूंकि पारम्परिक मूत्र विश्लेषण से एचजीएच (HGH) की उपस्थिति का पता नहीं लगाया जा सकता था, इसलिये इस प्रतिबंध को 2000 के दशक के प्रारंभ तक लागू नहीं किया जा सका, जिस समय प्राकृतिक और कृत्रिम एचजीएच (hGH) का अंतर पहचानने वाले रक्त परीक्षणों का विकास शुरू हो रहा था। एथेंस, ग्रीस में 2004 ओलिम्पिक खेलों में ‘वाडा (WADA)’ द्वारा किये गए रक्त के परीक्षणों का उद्देश्य मुख्यतः एचजीएच (HGH) का पता लगाना था।[2] इस दवा का यह उपयोग एफडीए (FDA) द्वारा अनुमोदित नहीं है और युनाइटेड स्टेट्स में कानूनन जीएच (GH) केवल डाक्टरी नुस्खे पर ही उपलब्ध है।
प्राकृतिक रूप से कैसे ठीक करें हार्मोन असंतुलन ::
ओमेगा 3 फैटी एसिड :
ओमेगा 3 फैटी एसिड हार्मोन को बैलेंस करने में काफी ज्यादा मददगार होते हैं। यह मासिक धर्म के तेज दर्द को शांत करने तथा रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करते हैं। आपको ओमेगा 3 फैटी एसिड मछली, अलसी के बीज, अखरोट, सोया बींस, टोफू और ऑलिव ऑइल से प्राप्त हो सकता है। आप डॉक्टर से पूंछ कर ओमेगा 3 की गोलियां भी ले सकती हैं।
विटामिन डी :
विटामिन डी पिट्यूटरी ग्रंथि को प्रभावित करता है जहां पर हार्मोन की एक श्रृंखला का उत्पादन होता है। यह एस्ट्रोजन के कम स्तर के लक्षणों को धीमा कर सकता है। यह वजन और भूंख को भी प्रभावित करता है। यदि आपके शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है तो, शरीर में पैराथायरॉयड हार्मोन का असामान्य स्त्राव होने लगेगा।
व्यायाम :
नियमित रूप से 20 से 30 मिनट की रोजाना एक्सरसाइज से आपके हार्मोन बैलेंस हो सकते हैं। इससे स्ट्रेस का लेवल भी कम हो सकता है क्योंकि स्ट्रेस हार्मोन इस्ट्रोजेन हार्मोन को ब्लॉक कर देता है, जिससे पूरे शरीर को परेशानी भुगतनी पड़ती है। आप रोजाना स्विमिंग, जॉगिंग या योगा कर सकती हैं।
नारियल तेल :
एकस्ट्रा वर्जिन कोकोनट ऑइल प्राकृतिक रूप से हाइपोथायरायडिज्म को ठीक कर देता है। यह ब्लड शुगर लेवल, प्रतिरक्षा को बढाता है और वजन कम करता है। यह दिल के लिये बिल्कुल भी हानिकारक नहीं है। आप को हर दिन 2 से 3 चम्मच एकस्ट्रा वर्जिन कोकोनट ऑइल जरुर खाना चाहिये।
मेथी दाना :
माना जाता है कि मेथी एस्ट्रोगेनिक इफ़ेक्ट को बढावा देता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर्स भी इसे जड़ी बूटी समान मानते हैं। यह प्राकृतिक रूप से ब्रेस्ट के साइज और स्तनपान में बढावा करती है। साथ ही यह लो ब्लड शुगर और ग्लूकोज मेटाबॉल्जिम की खराबी को ठीक करती है, जिससे वजन बढता है। रोजाना एक कप गरम पानी में 1 चम्मच मेथी दाने को 15 मिनट तक के लिये भिगो कर फिर छान कर दिन में 3 बार पियें। इसके साथ में आप नींबू या शहद भी मिक्स कर सकती हैं। अगर मेथी आपको सूट न करे, तो आप सौंफ का सेवन कर सकती हैं।
तुलसी :
यह शरीर में कोर्टिसोल के स्तर को स्थिर रखती है। अगर कोर्टिसोल का लेवल बढ गया तो यह थायराइड ग्रंथी, ओवरी और अग्न्याशय को प्रभावित कर सकता है। साथ ही यह हमारे मूड पर भी गहरा असर डालता है। इसे बैलेंस करने के लिये आपको कुछ महीनों तक दिन में कुछ तुलसी की पत्तियां चबानी होंगी। आप चाहें तो तुलसी को गरम पानी में उबाल कर और छान कर 3 कप दिन में पी सकती हैं।
विकास हार्मोन्स की कमी
ग्रोथ हार्मोन डेफिशियंशी (Growth hormone deficiency; अथवा वृद्धि/विकास हार्मोन की कमी) एक चिकित्सा कमी है जो पीयूष ग्रन्थि में आने वाली समस्या के कारण होती है तथा इसमें शरीर को पर्याप्त वृद्धि हार्मोन नहीं मिल पाता।
संकेत और लक्षण :
यह प्रभाव 3800 बच्चों में से एक में पाया जाता है। इसके बाद बड़े बच्चों में यह उतनी ही मात्रा में बढ़ती जाती है जिसका इलाज रेड़ियोथेरेपी से किया जाता है, यद्यपि यह संख्या प्राप्त करना मुश्किल है
मानव विकास हार्मोन ::
मानव विकास हार्मोन somatotropin कर सकते हैं बुलाया भी हो सकता है. यह एक प्रोटीन एमिनो 190 (प्रोटीन के ब्लॉक) एसिड होता है जो पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा निर्मित है जिसमें हार्मोन है. वहाँ 2 मुख्य HGH लाभ, दोनों जिनमें से अत्यधिक सक्रिय मानव शरीर के लिए महत्वपूर्ण के रूप में आप नीचे देख होगा रहे हैं. एक मुख्य लाभ HGH कोशिकाओं अन्य प्रकार के प्रत्यक्ष प्रभाव पर अपनी है. मानव विकास हार्मोन लक्ष्य कोशिकाओं पर अपने रिसेप्टर को बांधता है, तो निश्चित कार्रवाई बनाता है. उदाहरण के लिए, HGH के लक्ष्यों में से एक है वसा कोशिकाओं, तो वे मानव विकास हार्मोन रिसेप्टर्स है. वहां पहुंचने पर बंधुआ, मानव विकास हार्मोन का कारण बनता है उन्हें नीचे तोड़ने के लिए ट्राइग्लिसराइड और उनके ऊपर लेने की क्षमता को दबा और परिसंचारी lipids, जो HGH वसा भंडारण रोका जा सकता है इसका मतलब जमा! मानव विकास हार्मोन भी 1 का IGF-स्राव से कारण शरीर में प्रभाव बनाता अन्य अप्रत्यक्ष, एक इंसुलिन की तरह मानव विकास हार्मोन HGH 1. कारणों IGF-secreted से होने के लिए जिगर और अन्य ऊतकों. इस प्रक्रिया को HGH के ज्यादातर विकास से संबंधित प्रभावों को नियंत्रित. सीएन नसीएनएन शर्तें विशेषज्ञ कहते हैं - हाल के आंकड़े बताते हैं कि विकास के कैंसर वर्तमान पहले से ही दोनों में वृद्धि वृद्धि हुई स्तर की वृद्धि कारक जैसे इंसुलिन, जो erythropoietin हार्मोन और विकास की तरह मानव का है भी में परिवार विकास सेल विकास, रक्त को उत्तेजित करता है कारक है और लाल . नए कैंसर से लड़ने वाले ड्रग्स से कुछ वास्तव में कुछ बाधा वृद्धि कारकों से काम करते हैं.
हार्मोन प्रतिस्थापन चिकित्सा ::
जब महिलाओं का मासिक धर्म (पीरियड) बंद हो जाता है। रजोनिवृत्ति उत्पन्न होने से पहले (पेरीमेनेपॉज), एस्ट्रोजन जो मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करता है उसमें बहुत अधिक उतार चढ़ाव होता है। हार्मोन में होने वाले इन परिवर्तनों के कारण योनि में सूखापन आने लगता है, पसीना निकलता है और नींद की आदत में बदलाव होता है। इस तरह के परिवर्तनों का प्रबंधन करने के लिए कुछ महिलाओं को हार्मोन दिया जाता है और इसे हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) या रजोनिवृत्ति हार्मोन थेरेपी के रूप में जाना जाता है। हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम में भी सहायता कर सकता है। हालांकि, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी के संबंध में स्ट्रोक, हृदय रोग और स्तन कैंसर के जोखिमों की सूचना प्राप्त हुई है। एचआरटी के जोखिम महिला दर महिला और एचआरटी के प्रकार पर भिन्न हो सकते हैं।
हार्मोन्स रिप्लेसमेंट
► केवल एस्ट्रोजेन (प्रोजेस्टेरोन नहीं) – यदि केवल एस्ट्रोजेन का उपयोग किया जाता है, तो इन महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। यदि गर्भाशय निकाल दिया गया है, तो केवल एस्ट्रोजेन दी जाती है (एस्ट्रोजेन थेरेपी) और प्रोजेस्टेरोन नहीं दी जाती है (जिसका उपयोग गर्भाशय की परत को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है)।
► संयुक्त एचआरटी (एस्ट्रोजेन+ प्रोजेस्टेरोन) – प्रोजेस्टेरोन के साथ एस्ट्रोजेन तब दी जाती है जब महिला का गर्भाशय अक्षुण्ण हो (संयुक्त थेरेपी)।
► सतत संयुक्त एचआरटी – एस्ट्रोजेन+ प्रोजेस्टेरोन को रोजाना एकसाथ लिया जाना चाहिए। दिन में एक बार 28 दिनों तक। (कोई रक्तस्त्राव नहीं)
► क्रमिक एचआरटी – पहले 14 दिनों तक एस्ट्रोजेन दी जाती है और उसके अगले 14 दिनों तक एस्ट्रोजेन+ प्रोजेस्टेरोन दी जाती है। (कोई मासिक रक्तस्त्राव नहीं)।
आपको किस प्रकार की एचआरटी की आवश्यकता होगी इसका निर्णय आपके मासिक धर्म की स्थिति के आधार पर लिया जाता है (यदि आप रजोनिवृत्ति में हैं या पिछले एक वर्ष से आपके मासिक धर्म पूर्ण रूप से बंद हो चुके हैं)।
एचआरटी विभिन्न विधियों द्वारा की जा सकती है:
► पैच – इसमें केवल एस्ट्रोजेन या एस्ट्रोजेन+ प्रोजेस्टेरोन का उपयोग किया जाता है। इसे सप्ताह में एक या दो बार कमर के नीचे लगाया जाता है। लघु और दीर्घ-अवधि के लक्षणों से राहत मिलती है।
► जेल – इसे साफ़, शुष्क, अभंग त्वचा के एक निर्धारित हिस्से पर लगाया जाता है।
► गोलियाँ – इनका सेवन दिन में केवल एक बार किया जाता है और इसमें एस्ट्रोजेन या एस्ट्रोजेन+ प्रोजेस्टेरोन होता है।
► योनि से दिया जाने वाला एस्ट्रोजन (लोकल) – योनि की शुष्कता या मूत्र संबंधी लक्षणों को मिटाने लिए योनि क्रीम, योनि टेबलेट्स, योनि रिंग या योनि पिसारिस (एक प्रकार का चिकित्सीय उपकरण) का उपयोग किया जाता है। रजोनिवृत्ति संबंधी लक्षणों और दीर्घ-अवधि लक्षणों में लोकल एचआरटी प्रभावशाली नहीं होगी।
हार्मोन्स बैलेंस फ़ूड
मानव शरीर जो है वो एक तरह से सबसे अधिक efficiency लिए हुए है और इसका राज छुपा है हमारे द्वारा ग्रहण किये जाने वाले भोजन में और ऐसे में आपके भोजन का पौष्टिक होना जरुरी है और इसी तरह पोष्टिक भोजन जरुरी है और उसमे कुछ अवयव शामिल होने जरुरी है जो आपके hormones को बैलेंस करने के लिए आवश्यक है ऐसे ही कुछ जरुरी तत्व है फूलगोभी और पत्तागोभी , दालचीनी , ओट , अनार और डार्क वाली चोकलेट (लड़कियों के लिए तो यह आसान ही है |)
फूलगोभी – गोभी में वैसे तो ज्यादा कुछ नहीं होता लेकिन फिर भी इसमें पाए जाने वाला फायटो न्यूट्रीयंट्स होता है जो एक खास तरह के hormone को बढने से रोकता है जिसे एस्ट्रोजन मेटाबोलाईट कहते है इस हार्मोन के बढ़ने से ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है |
दालचीनी– दालचीनी सर्वत्र पंसारी की दुकान से उपलब्ध होती है और इस से इन्सुलिन hormone के संतुलन में शरीर को सहायता मिलती है और आपको पता ही है कि इन्सुलिन के level की गड़बड़ी की वजह से ही शुगर जैसी खतरनाक बीमारी हमारे शरीर में घर कर लेती है | साथ ही दालचीनी के दूसरे कई भी सेहत के फायदे है यह हमारे शरीर में बुरे कोलेस्ट्रोल को भी कम करता है जिसकी वजह से heart की बीमारियों के चांसेस कम हो जाते है और जो लोग heart की बीमारी से ग्रस्त है उनके लिए यह attack का खतरा भी कम करता है और चूँकि यह इन्सुलिन को control करता है जिसकी वजह से हमारे रक्त में शुगर की मात्रा को भी कम करता है जिसकी वजह से diabetes का खतरा भी कम हो जाता है |
ओट / जौ – जौ गेंहू के समान ही अनाज होता है जिसका उपयोग कई तरह से किया जाता है गावों में जब किसी व्यक्ति को पाचन से जुडी बीमारी होती है तो पाचन क्षमता को बढाने के लिए कई तरह के धान को मिलकर उसका आटा सेवन करने के लिए recommend करते है जिसमे जौ भी शामिल होता है और इसमें विटामिन और मिनरल्स के साथ प्रोटीन और फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है यह भी दालचीनी के समान ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रोल को control करने में सहायक होता है |
अनार – अनार सर्वाधिक विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर होता है यही वजह कि बाजार में आम फलों के मुकाबले अनार की कीमत कंही अधिक होती है अनार में ऐसे कुछ तत्व होते है जो महिलाओं में होने वाले estradiol hormone के स्तर को बढ़ने से रोकते है और estradiol hormone के level के अधिक हो जाने या अनियमित हो जाने पर कैंसर होने की सम्भावना होती है |
Yoga – भारत को yoga के रूप में विरासत में एक ऐसी विधा मिली है जो हमारे सर्वंगीण विकास के लिए शानदार तरीके से लाभदायक है और शायद यही वजह है कि भारत में उपेक्षित yoga विधा को दुनिया भर में अब लोग अपना रहे है आप भी yoga health benefits को जानते हुए yoga को अपनी life में अपना सकते है योग भी hormonal balance को बनाये रखने में बेहद कारगर है |
डार्क चोकलेट – हो सकता है आपको ये advise मिले कि चोकलेट खाना दातों और health के लिए अच्छा नहीं होता है लेकिन यह भी पूरा सच नहीं है क्योंकि डार्क चोकलेट आपकी health और hormone के balance के लिए अच्छा होता है क्योंकि इसमें पाया जाने वाला तत्व tryptophan और phenylethylamine तो आपके दिमाग के लिए आवश्यक जरुरी hormones के level को बरकरार रखने में आपकी अच्छी खासी help करता है लेकिन इसके सेवन के लिए चोकलेट वही अच्छी है जिसमे कम से कम 70 प्रतिशत कोको की मात्रा हो | इसके अलावा tryptophan सोया फूड्स जैसे कि सोयाबीन में भी बहुत्तायत से पाया जाता है |वन्ही टूना मछली भी tryptophan का अच्छा स्त्रोत हो सकती है |
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