हार्मोन्स रोग उपचार
हार्मोन्स क्या होते है
हार्मोन किसी कोशिका या ग्रंथि द्वारा स्त्रावित ऐसे रसायन होते हैं जो शरीर के दूसरे हिस्से में स्थित कोशिकाओं को भी प्रभावित करते हैं। शरीर की वृद्घि, मेटाबॉलिज्म और इम्यून सिस्टम पर इसका सीधा प्रभाव होता है। द अपोलो क्लीनिक की कंसल्टेंट गाइनेकोलॉजिस्ट डॉं. गुंजन कहती हैं, ‘हमारे शरीर में कुल 230 हार्मोन होते हैं, जो शरीर की अलग-अलग क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। हार्मोन की छोटी-सी मात्रा ही कोशिकाओं के मेटाबॉलिज्म को बदलने के लिए काफी होती है। ये एक कैमिकल मैसेंजर की तरह एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक सिग्नल पहुंचाते हैं।
फीमेल हार्मोन्स क्या है ::
फीमेल हार्मोन्स महिलाओं के शरीर को ही नहीं, उनके मस्तिष्क और भावनाओं को भी प्रभावित करते हैं। किसी महिला के शरीर में हार्मोन का स्त्राव लगातार बदलता रहता है। यह कई बातों पर निर्भर करता है, जिसमें तनाव, पोषक तत्वों की कमी या अधिकता और व्यायाम की कमी या अधिकता प्रमुख है। गाइनेकोलॉजिस्ट डॉं. नुपुर गुप्ता कहती हैं, ‘फीमेल हार्मोन यौवनावस्था, मातृत्व और मेनोपॉज के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पीरियड्स और प्रजनन तंत्र को नियंत्रित रखते हैं।’ ओवरी (अंडाशय) द्वारा सबसे महत्वपूर्ण जिन हार्मोनों का निर्माण होता है वो फीमेल सेक्स हार्मोन हैं। डॉं. गुप्ता बताती हैं, ‘यौवनावस्था आरंभ होते ही किशोरियों में जो शारीरिक बदलाव नजर आते हैं, वह एस्ट्रोजन के स्त्राव के कारण ही आते हैं। इसके बाद नारी जीवन में सबसे बडम बदलाव मासिक चक्र के बंद होने के दौरान आता है, जिसे मेनोपॉज कहते हैं।
हार्मोन असंतुलन का शरीर पर प्रभाव
हार्मोन असंतुलन के कारण महिलाओं का मूड अक्सर खराब रहने लगता है और वो चिड़चिड़ी हो जाती हैं। यह असंतुलन स्वास्थ्य संबंधी सामान्य परेशानियां जैसे मुहांसे, चेहरे और शरीर पर अधिक बालों का उगना, समय से पहले उम्र बढ़ने के लक्षण नजर आना से लेकर मासिकधर्म संबंधी गड़बडियां, सेक्स के प्रति अनिच्छा, गर्भ ठहरने में मुश्किल आना और बांझपन जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। फीमेल हार्मोन की गड़बड़ी के अलावा कई महिलाओं में पुरुष हार्मोन टेस्टास्टेरन का अधिक स्त्राव हिसुटिज्म की वजह बन जाता है।
हार्मोन असंतुलन के कारण ::
महिलाओं के शरीर में हार्मोन असंतुलन कई कारणों से प्रभावित होता है, जिसमें जीवनशैली, पोषण, व्यायाम, तनाव, भावनाएं और उम्र प्रमुख हैं। कई लोगों की यह अवधारणा है कि हार्मोन असंतुलन मेनोपॉज के बाद होता है जबकि यह पूरी तरह गलत है। कई महिलाएं सारी उम्र हार्मोन असंतुलन से परेशान रहती है। जीवनशैली और खानपान से जुड़ी आदतों में बदलाव के कारण महिलाएं हार्मोन असंतुलन की शिकार पहले की तुलना में ज्यादा हो रही हैं। जंक फूड और दूसरे खाद्य पदार्थों में कैलोरी की मात्रा तो बहुत अधिक होती है लेकिन पोषक तत्वों की मात्रा बहुत कम होती है। इससे शरीर को आवश्यक विटामिन, मिनरल, प्रोटीन और दूसरे पोषक तत्व नहीं मिल पाते। कॉफी, चाय, चकलेट और सॉफ्ट ड्रिंक आदि का अधिक इस्तेमाल करने के कारण भी कई महिलाओं की एड्रीनलीन ग्रंथि अत्यधिक सक्रिय हो जाती है जो हार्मोन के स्त्राव को प्रभावित करती है। गर्भनिरोधक गोलियां भी हार्मोन के स्त्राव को प्रभावित करती हैं।
हार्मोन असंतुलन के लक्षण ::
मासिकधर्म के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग होना। मासिक चक्र गड़बड़ा जाना। उत्तेजना। भूख न लगना। अनिद्रा। ध्यान केंद्रित करने में समस्या। अचानक वजन बढ़ जाना। सेक्स के प्रति अनिच्छा और रात में अधिक पसीना आना।
हार्मोन्स बचाव व् उपाय
संतुलित, कम वसायुक्त और अधिक रेशेदार भोजन का सेवन करें।
ओमेगा-3 और ओमेगा-6 युक्त भोजन हार्मोन संतुलन में सहायक है। यह सनफ्लावर के बीजों, अंडे, सूखे मेवों और चिकन में पाया जाता है।
शरीर में पानी की कमी न होने दें।
रोज 7-8 घंटे की नींद लें।
तनाव से बचें, सक्रिय रहें।
चाय, कॉफी, शराब के सेवन से बचें।
मासिक धर्म संबंधी गड़बडियों को गंभीरता से लें।
ध्यान और योगासन द्वारा अपने मन और शरीर को शांत रखने की कोशिश करें।
पुरषो हार्मोन्स कि कमी
Fatty body – वैसे मोटापे की किसी भी लिहाज से उचित नहीं माना जा सकता और मोटापे का मतलब होता है अनेक बिमारियों को स्वयं आमंत्रित करना. अगर आप मोटे है या शरीर पर अनावश्यक चर्बी जमा है तो testesteron level reduce हो सकता है, और शरीर में testestoron की कमी आ सकती है. इसके लिए नियमित व्यायाम और नपा तुला खाना खाने का प्रयत्न करें.
Tension – आजकल की दौड़ भाग वाली लाइफ में तनाव होना एक आम बात है, लेकिन अधिक तनाव होना, शरीर के testesteron में कमी लाने का कारक हो सकता है. जब से व्यक्ति समझ पकड़ता है उसे टेंशन नामक बीमारी अपनी बेड़ियों में कैद करने के लिए तत्पर हो जाती है और संभवतः सिर्फ मृत्यु ही इससे छुटकारा दिला सकती है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है की इसे कम नहीं किया जा सकता. अपना ध्यान और दिमाग को किसी अच्छी जगह लगायें. योग, प्राणायाम, मैडिटेशन, खेल कूद और अपनी रूचि के मुताबिक कार्यों की और रुख करें. मैं यह नहीं कहता की इन सब से टेंशन नामक राक्षश मर जायेगा किन्तु आप उससे अधिक से अधिक अपने आप को दूर रखने में सफल हो पाएंगे.
Food – अधिक कार्बोहाइड्रेट्स युक्त भोजन और प्रोटीन की कमी भी testesteron reduce कर देते है. Vitamin C वाले पदार्थो का सेवन testesteron का लेवल बढ़ा सकता है. जैसे स्ट्राबेरी. नारियल का किसी भी रूप में सेवन करने से भी testesteron शरीर में बढ़ता है.
Avoid Sweets – मिठाई को हमारे खाने में अव्वल स्थान प्राप्त है. चाहे कोई भी शुभ कार्य हो या मृत्यु मिठाई खाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है. यहाँ तक की भगवान को भोग स्वरूप भी अधिकांश मिठाई ही चढ़ाई जाती है. ऐसे में भला कोई मीठे से दूर रहे भी तो कैसे. लेकिन हर किसी चीज की एक लक्षमण रेखा होती है जिसे लंगने का अर्थ है कष्ट को निमंत्रण देना. मीठा अधिक खाना या मीठे पदार्थो का अत्यधिक सेवेन से Body में testesteron की कमी हो जाती है क्योकि इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है. जिन व्यक्तियों को सुगर (डायबीटीज रोग) होता है उनके शरीर testesteron की कमी आ जाती है.
यौन हार्मोनों का दखल ::
आम तौर पर यह बताया जाता है कि जिनके यकृत में वसा की अधिक मात्रा नहीं होती, उन के भीतर एस एच डबल्ल्यू जी नाम के एक प्रोटीन की अधिकता होती है. यकृत में वासा का जमाव होने पर इस प्रोटीन का अनुपात तेज़ी से घट जाता है. यह प्रोटीन पुरुषों में टेस्टेस्टेरॉन और महिलाओं में ऐस्ट्रोजन जैसे लिंगसापेक्ष यौन हार्मोनों का नियमन करता है. डॉक्टर काफ़ी समय से जानते हैं कि मधुमेह होने में इन हार्मोनों की भी भूमिका होती है. अमेरिका में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ता भी इसी नतीजे पर पहुँचे हैं कि रक्त में इस ख़ास प्रोटीन की अधिक मात्रा मधुमेह की रोकथाम करती है.
थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन ::
थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन रक्त परीक्षण Thyroid-Stimulating Hormone (TSH) एक ऐसी जाँच है जिसके द्वारा थाइरॉयड ग्रंथि में पैदा होने वाली समस्याओं का पता लगाया जाता है। जब हाइपोथैलेमस द्वारा एक पदार्थ थायरोट्रोपिन उत्तेजक हार्मोन (TRH) का निर्माण होता है तो उसी वक्त TSH भी बनता है। जब TRH द्वारा पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित किया जाता है तब TSH बनना शुरू होता है। TSH के कारण थायराइड ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन्स ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी 3) और दूसरा थायरोक्सिन (टी 4) का निर्माण करती है। ये दोनों ही हार्मोन हमारे शरीर के उपापचय (Metabolism) को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी 3) और थायरोक्सिन (टी 4) ऐसे हार्मोन्स हैं जो पहले तीन वर्षो में मस्तिष्क के सामान्य विकास के लिए बेहद आवश्यक हैं। ऐसे बच्चे जिनकी थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में थायरॉयड हार्मोन (जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म) नहीं बना पाती, इस तरह के बच्चे गंभीर रूप से मंदबुद्धि भी हो सकते हैं। सिर्फ तीन साल तक के बच्चे ही नहीं बल्कि इस से बड़े बच्चों में भी थायरॉयड हार्मोन का समान्य रूप से विकसित होना जरुरी है। थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन की जाँच टी 3 और टी 4 के साथ की जा सकती है। यह जानने के लिए कि थाइरॉयड ग्रंथि ठीक से काम कर रही है या नहीं। यदि थायरॉयड ग्रंथि (हाइपोथायरायडिज्म) सामान्य से कम काम करे तो इसका नतीजा, वजन बढ़ना, सूखी हुई त्वचा, कब्ज, ज्यादा ठण्ड लगना और तेज माहवारी रक्तस्त्राव के रूप में नजर आता है। यदि थायराइड (अतिगलग्रंथिता) अत्यधिक तेजी से काम करे तो इसका नतीजा वजन घटना, हृदय की तेज धड़कन, घबराहट, दस्त, ज्यादा गर्मी लगना और अनियमित माहवारी जैसे रूपों में सामने आता है। जरूरत से ज्यादा असक्रिय थायरॉयड ग्रंथि (हाइपोथायरायडिज्म) की जानकारी के लिए। टीएसएच स्तर के द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि हाइपोथायरायडिज्म कहीं थायरॉयड ग्रंथि के नष्ट होने की वजह से तो नहीं हुआ है या फिर इसका कोई और कारण है। जैसे कि पिट्यूटरी ग्रंथि या हाइपोथेलेमस के समस्याग्रस्त होने से। हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित व्यक्तियों को थायराइड प्रतिस्थापन चिकित्सा का उचित ध्यान रखना चाहिए। यानि उन्हें जानकारी होनी चाहिए कि कब किस दवा को बदलना है। जिन लोगों का हाइपोथायरायडिज्म का इलाज चल रहा है उनकी थायरॉयड ग्रंथि की कार्यविधि पर भी नजर रखनी चाहिए। उनके लिए उपचार के रूप में एंटीथायरॉय चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, या विकिरण चिकित्सा किसी की भी जरूरत हो सकती है। इसके अलावा नवजात शिशुओं में भी सक्रियता से नीचे थायरॉयड ग्रंथि (जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म) की जाँच होनी चाहिए।
लेपिटन हार्मोन्स
लेप्टिन हार्मोन का काम हमारे दिमाग को यह संकेत देना हैं की हमारी बॉडी में प्रयाप्त एनर्जी हैं या नहीं अगर इस हार्मोन का लेवल बढ़ जाता हैं तो यह दिमाग को बार-बार भूख लगने का संकेत देता हैं, जिसके कारण लोगो को बार-बार भूख लगती हैं और ज़्यादा खाने से वज़न बहुत तेज़ी से बढ़ता हैं जिसके कारण आप मोठे हो जाते है.
इसको बैलेंस कैसे करे :
रोज़ व्यायाम करे, कम से कम 30 मिनट तक और सात घण्टे की नींद ज़रूर लें इससे यह हार्मोन बैलेंस रहेगा और आपका मोटापा भी कण्ट्रोल में रहेगा.
रोज़ प्रोटीन डाइट लें, और लौ फैट खाना खाये.
शुगर अवॉइड करे.
इन्सुलिन हार्मोन्स
यह हार्मोन बॉडी को फैट स्टोर करने का संकेत देता हैं, अगर बॉडी में इसका लेवल बढ़ता हैं तो फैट भी बहुत तेज़ी से बॉडी में बढ़ता हैं, जिक्से कारण आपका मोटा होना तय हैं.
इसको बैलेंस किस प्रकार करे :
शुगर लेना अवॉइड करे.
शराब वा धूम्रपान का सेवन बिलकुल ना करे.
व्यायाम करे कम से कम 20 मिनट तक.
काटिसाेल हार्मोन्स
यह हार्मोन बॉडी में स्ट्रेस पैदा करता हैं और स्ट्रेस भी मोटापे का एक मुख्य कारण हैं, जो व्यक्तिओ स्ट्रेस में रहता हैं उसका वेट बहुत तेज़ी से बढ़ता हैं.
इसे बैलेंस किस प्रकार करे :
रोज़ 30 मिनट तक योग, और मैडिटेशन ज़रूर करे.
कॉफी वा चाय पीना कम करे.
शराब वा सिगरेट बिलकुल ना पिए.
टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स
1.वजन करें कम – अगर आपका वजन बहुत ज्यादा है तो आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। शरीर में ज्यादा चरबी, टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ने से रोक सकती है। टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने के लिए अपने वजन को कम करना जरूरी है |
2.पूरी नींद – क्या आप भी देर रात तक टीवी देखते हैं ? लेकिन यहाँ आपको बताना जरुरी है की नींद का भी टेस्टोस्टेरॉन की प्रोडक्शन पर प्रभाव पड़ता है | आप कितने घंटे सोते है इसका प्रभाव आपके टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की प्रोडक्शन पर पड़ता है |विशेषज्ञों के अनुसार रात में कम से कम 7-8 घंटों के लिए सोना चाहिए क्योकि शरीर में 70% टेस्टोस्टेरोन निद्रावस्था में उत्पन्न होता है।
3. खनिज पदार्थों का सेवन – जिंक और मैग्नीशियम जैसे खनिज शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। अतः, पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के उच्च स्तर को बनाएं रखने के लिए उन खाद्य पदार्थों का सेवन करना बहुत जरुरी है जो आपके शरीर में इन खनिजों की जरुरत को पूरा करते हैं।
4. तनाव- तनाव चाहे किसी भी कारण से हो ,यह आपके शारीरिक विकास में एक से अधिक बाधाएं खड़ी कर सकता है। जब आप बहुत ज्यादा तनाव में होते हैं, तो आपके शरीर में अधिक मात्रा में हार्मोन स्रावित होते हैं। ये हार्मोनस शरीर में टेस्टोस्टेरोन को बढ़ने से रोकते हैं। ध्यान जैसी सरल और प्रभावशाली तकनीक तनाव से लड़ने में आपकी मदद करेगी।
5. कम करें मीठे का सेवन –मीठा कम खाएं, क्योंकि शरीर में शर्करा के स्तर के बढ़ने से इंसुलिन का स्तर बढ़ता है। जब आप मीठा खाते हैं तो आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर अपने आप कम हो जाता है। इस हार्मोन के स्रवण और शारीरिक विकास के लिए जितनी हो सके उतनी कम मीठी चीज़े खाएं।
6 लम्बे समय तक कसरत न करें – कई अनुसंधानों से यह साबित हो चुका है अगर आप हर रोज बहुत तीव्रता से 45-75 मिनट के लिए कसरत करते हैं, तो इससे आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के विकास मे बाधाएं पैदा हो सकती है। कसरत करते समय किसी पेशेवर ट्रेनर की सलाह लें इसे आपको काफी फायदा होगा।
7 हाई प्रोटीन ब्रेकफास्ट – अंडा, हरी पत्तेदार सब्जी और नट्स खा कर अपने दिन की शुरुआत करें। कार्बोहाइड्रेट वाले ब्रेकफास्ट टेस्टोस्टेरोन के लेवल को गिराते हैं, जो कि सुबह सुबह हाई होते हैं।
8. खूब पीए पानी – थोड़ी सी भी डिहाइड्रेशन टेस्टोस्टेरोन स्तर के लिए ठीक नहीं है | पानी की कमी से शरीर में कोर्टिसोल, (स्ट्रेस हार्मोन) का स्तर बढ़ता है | इसलिए हार्मोन्स की मात्रा में वृद्धि करने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीए |
हार्मोन असंतुलन के लक्षण और इलाज
हॉर्मोंस के काम :
हार्मोन्स शरीर की सभी गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। ये हमारे शरीर की वृद्घि और विकास के लिए जरूरी हैं। और जब हार्मोन के स्राव में असंतुलन होता है तो शरीर के पूरे सिस्टम में गड़बड़ी आ जाती है। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हमारे शरीर में जरूरी हार्मोन्स का स्तर संतुलित रहे। हॉर्मोन की गड़बड़ी से कई स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं। जानिए उन समस्याओं के बारे में और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में।
लगातार वजन बढ़ना :
यह सच है कि लाइफस्टाइल, डाइट और शारीरिक गतिविधि के जरिए आप वजन पर काबू रख सकते हैं। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। कई महिलाओं के शरीर में हार्मोन का स्तर बिगड़ जाता है। इससे उनके लिए वजन काबू कर पाना मुश्किल हो जाता है। इनसुलिन के स्तर की अनेदखी और प्रतिरोधकता में बढ़ोत्तरी भी वजन बढ़ने का कारण हो सकती है। आहार में छोटे-मोटे बदलाव कर इस समस्या से बचा जा सकता है। प्रोसेस्ड फूड, चीनी और गेहूं से बने उत्पादों से दूरी रखकर आप सही दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
कामेच्छा में कमी :
हार्मोन के असंतुलन का एक बड़ा लक्षण कामेच्छा में कमी होना होता है। इसकी शुरुआत नींद में खलल से होती है। अच्छी और पूरी नींद के बिना हमारे सेक्स हॉर्मोन का उत्पादन मंद पड़ सकता है। अपनी दिनचर्या में बदलाव करें। पौष्टिक आहार को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनायें। इसके साथ ही रोजाना व्यायाम के लिए कुछ समय निकालें। व्यायाम से आपके शरीर में हॉर्मोन का स्तर संतुलित रहता और आपको बढ़िया नींद आती है।
थकान :
दोपहर होते-होते थकान आप पर पूरी तरह हावी हो चुकी होती है। कभी*कभी ऐसा होना कोई बड़ी परेशान करने वाली बात नहीं। लेकिन, रोज-रोज सुस्त, बिखरा रहना और मानसिक रूप से परेशान रहना अच्छे संकेत नहीं है। अपनी आहार योजना में बदलाव कीजिये। अपने आहार से गेंहूं और अनाज से बनी चीजों को बाहार कर दें। इससे आपको रक्त शर्करा को संतुलित करने में मदद मिलेगी। रक्त शर्करा नियंत्रित होने पर आप बेहतर ऊर्जा के साथ काम कर सकेंगे।
चिंता व तनाव और चिड़चिड़ापन :
आपका मूड सही नहीं है। यह दवा विक्रेता के पास जाने का वक्त नहीं है। चिंता और अवसाद इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में कुछ हॉर्मोंस असंतुलित हैं। आपके शरीर में विषाक्ता बढ़ गई और आप पर काम का अधिक बोझ है। तनाव आपको शिथिल कर रहा है। और साथ ही आपके शरीर को उतना पोषण नहीं मिल रहा जिसकी उसे जरूरत है। अपने भीतर की आवाज सुनें। दिमाग को जरूरी आराम दीजिये। इसके साथ ही योग, ध्यान और व्यायाम से भी अपने मस्तिष्क को जरूरी पोषण दीजिये। अपने आहार में ओमेगा फैटी-3 एसिड युक्त आहार, जैसे मछली, बादाम और अखरोट जैसे खाद्य पदार्थों को शामिल कीजिये।
अनिद्रा या नींद की कमी :
हार्मोन बिगड़ने पर लोगों में शारीरिक तनाव और कार्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है। इससे आपको नींद ना आने की शिकायत होने लगती है। अनिद्रा आपके जीवन के हर हिस्से को बुरी तरह प्रभावित करती है। नींद न आने की समस्या से बचने के लिए आपको शांत रहने की कोशिश करनी चाहिये। अपने आहार में बदलाव कीजिये और शाम के समय हल्का भोजन कीजिये। व्यायाम, योग, ध्यान और पोषक आहार आपको अनिद्रा की समस्या से बचा सकते हैं।
पसीना आना :
कई महिलाओं में रात को पसीना और हॉट फ्लेशज की शिकायत होती है। यह किसी गड़बड़ी की पहली आशंका होते हैं। यह हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी करवाने का वक्त नहीं होता। लेकिन अपने आहार में बदलाव करने का वक्त जरूर होता है। आपको अपने शारीरिक और मानसिक जरूरतों में संतुलन बनाकर रखना चाहिये। कई बार भावनायें भी भीतरी तापमान बढ़ा सकती हैं। अधिक तेल मसाले वाले खाने से बचने की कोशिश करें। साथ ही जब आपको हॉट फ्लैश की शिकायत होने लगे तो अपने मस्तिष्क में चल रहे विचारों को नियंत्रित करने का प्रयास करें।
पाचन संबंधी समस्या :
गैस, सूजन और धीमी पाचन क्रिया का संबंध हॉर्मोन से है, लेकिन आमतौर पर इसका संबंध हार्मोन असंतुलन से नहीं होता। गलत आहार का सेवन, भोजन को सही प्रकार से नहीं चबाना अथवा अधिक खाने से यह समस्या हो सकती है। जब आपका हाजमा सही नहीं होता, गलत आहार से शरीर को अधिक भूख लगती है। अपनी भूख का ध्यान रखें। भोजन को धीरे-धीरे चबाकर अच्छी तरह खायें। हमारे पेट से मस्तिष्क तक संदेश जाने में 20 मिनट लगते हैं। इसलिए भूख से कम ही खायें।
हार्मोन्स के स्तर को सही करें
जीवन शैली में थोड़ा बदलाव हार्मोन्स के संतुलित स्राव में काफी मददगार हो सकता है।
पत्तेदार सब्जियों और फलों का प्रचुर मात्रा में सेवन करें, रोजाना कम से कम पांच बार इनका सेवन करें। फाइबर के साथ-साथ, फलियों का भी सेवन करें। इनमें आइसोफ्लेवन्स होता है जो पेरिमीनोपॉज, पीएएस और रजोनिवृत्ति के लक्षणों को स्थिर कर सकते हैं।
साबुत अनाज (जटिल कार्बोहाइड्रेट) में फाइबर और विटामिन बी की मात्रा अधिक होती है। दोनों ही हार्मोन संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कम वसा वाले आहार का सेवन करें। जैतून और कनोला तेल जैसे असंतृप्त वसा का चयनकरें। मांस और डेयरी उत्पादों का सीमित मात्रा में सेवन करें और बहुत अधिक वसा का सेवन करने से परहेज करे जिन्हें पचाने के लिए काफी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
अखरोट, अलसी और सामन और सार्डिन जैसी ऑयली मछलियों के तेल जैसे ओमेगा 3 एसेंसियल फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। हेल्दी आहार के साथ-साथ नियमित व्यायाम भी बहुत जरूरी है। सप्ताह में चार से पांच बार एक घंटे कार्डियो व्यायाम कर सक्रिय रहें।
मेडिटेशन और डीप रिलेक्सेशन द्वारा अपने मन और शरीर को शांत रखने की कोशिश करें।
हार्मोन संतुलन
हार्मोन असंतुलन होने पर कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। हार्मोन्स न सिर्फ शरीर की वृद्धि और विकास को प्रभावित करते हैं, बल्कि नर्वस सिस्टम की गतिविधियों को कंट्रोल करते हैं। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि हमारे शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बना रहे। हार्मोन्स शरीर को ही नहीं, मस्तिष्क और भावनाओं को भी प्रभावित करते हैं। खानपान में अनियमितता, व्यायाम की कमी, तनाव आदि के कारण इसमें असंतुलन हो जाता है। इसे संतुलित रखना बहुत मुश्किल नहीं है। आसान तरीकों से आप इस पर नजर रख सकते हैं।
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