कब्ज रोग उपचार

कब्ज  क्या है

 कब्ज एक ऐसी स्थिति है जिसमे व्यक्ति का पेट ठीक से साफ नहीं होता है और मल त्याग करते समय कष्ट भी होता है। कब्ज से पीड़ित व्यक्ति आम लोगों की तुलना में कम बार शौच करता है। जहाँ आम तौर पर लोग दिन में कम से कम एक बार शौच करते हैं वहीँ  कांस्टीपेशन का मरीज ३ या उससे भी ज्यादा दिनों तक मॉल त्याग नहीं कर पाता। इस कारण से उसका पेट भार-भारी रहता है और भोजन में भी अरुचि हो जाती है। कब्ज के कारण कुछ लोगों को उल्टी भी हो जाती है और सर में दर्द भी बना रहता है।

    कब्ज के लक्षण क्या-क्या हैं?

 *ठीक से मल त्याग ना होना या पेट ना साफ़ होना

 *मल त्याग करने में तकलीफ होना

*स्टूल (टट्टी/मल) का बहुत हार्ड और कम मात्रा में होना

*बार-बार ऐसा लगना कि अभी थोड़ा और मल त्याग करना चाहिए

*पेट में सूजन या दर्द होनाउल्टी होना

 कब्ज   होने  के कारण 

* भोजन ग्रहण करने में अनियमितता |

* बासी भोजन करना |

* अति विश्राम / कम शारीरिक श्रम |

* मानसिक तनाव / टेंशन |

* अधिक चिकनाई वाला भोजन |

* आंतों की कमजोरी |

* पानी कम पीना तथा खाने को ठीक से चबा-चबा कर ना खाना |

* अधिक चाय, कॉफी, तंबाकू, सिगरेट शराब आदि का सेवन |

* खाना खाते समय अधिक जल ग्रहण करना |

* स्वभाव में अधिक उग्रता |

* गरम मसाले वाले तथा अधिक तैलीय खाना खाना |

* व्यायाम बिल्कुल न करना आराम पसंद लाइफ स्टाइल। 

* खाना खाने के तुरंत बाद में फ्रिज का ठंडा पानी पीना|

* रात में देर से खाना, खाना खाते ही बिस्तर पर लेटकर सोना |

1. कब्ज पैदा करने वाले कारणों में वक्त-बेवक्त भोजन करने की आदत, नियमित रूप से निर्धारित समय पर भोजन न करना

2. गरिष्ठ, तले हुए मैदे के व्यंजन, तेज मिर्च-मसालेदार चटपटे भोजन, ठीक से चबाए बिना बार-बार भोजन करना ।

3. लगातार पेनकिलर्स या नॉरकोटिस या दर्द निवारक दवाएं खाने वाले भी कब्ज का शिकार हो जाते हैं। यदि ऐसी दवाओं को रोक दिया जाए तो कब्ज ठीक हो जाएगी।

4. कई बार हॉरमोंस की गडबडी, थाइरॉयड या शुगर की बीमारी भी कब्ज का कारण बन जाती है।

5. पहले का भोजन हजम हुए बिना फिर से भोजन खाना ।

6. पानी कम पीना तथा खाने को ठीक से चबा-चबा कर ना खाना ।

7. मानसिक तनाव, चिंता, क्रोध या शोक की अवस्था में भोजन करना, भोजन में रेशेदार आहार (Low Fiber Food) की कमी ।

8. अधिक चाय, कॉफी, तंबाकू, सिगरेट शराब आदि का सेवन ।

9. व्यायाम बिल्कुल न करना आराम पसंद लाइफ स्टाइल ।

10. खाना खाने के तुरंत बाद में फ्रिज का ठंडा पानी पीना ।

11. रात में देर से खाना, खाना खाते ही बिस्तर पर लेटकर सोना ।

    कब्ज दूर करने के लिए क्या खाना चाहिए 

कब्ज में सही खान पान जानकारी भी बहुत जरुरी है , दवा कितनी भी महंगी और असरदार क्यों न हो जब तक सही खानपान का पालन नहीं किया जाएगा सब बेकार ही सिद्ध होगा।

1. गेहूं का आटा 2 भाग और चने का आटा 1 भाग को मिलाकर बनाई गई मिस्सी रोटी, मोटे पिसे हुए आटे की रोटी, चोकरयुक्त आटे की रोटी, दलिया, भुना हुआ चना, बथुआ, मैथी, टमाटर, पालक व पालक का रस पानी मिलाकर, मक्खन, दूध व दूध के साथ भिगोई हुई मुनक्का, खजूर या अंजीर, रेशेदार साग-सब्जियां आदि।

2. उड़द की छोड़कर सभी साबुत यानी छिलके वाली दालें।

3. खाद्य पदार्थ जहां तक हो सके, प्राकृतिक रूप में ही सेवन करें।

4. अंकुरित अनाज को प्राथमिकता दें। गेहूं के पौधे का रस पिएं।

5. रोजाना सेब, अंगूर या पपीता खाने से कब्ज का निवारण होता है। कच्चा या पक्का पपीता खाना फायदेमंद है।

6. रोजाना भोजन के साथ गाजर, मूली, प्याज, टमाटर, खीरा व चुकंदर का सलाद बनाकर, नीबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से कब्ज का निवारण होता है।

7. कब्ज से पीड़ित रहने वाले स्त्री-पुरुषों को रोजाना पालक, मेथी, बथुआ या चौलाई की सब्जी खाने से कब्ज से मुक्ति मिलती है।

8. गाजर या संतरे का रस पियें इन रसों का दो-तीन दिन तक अवश्य सेवन करना चाहिए।

9. गेहूं, चना, जो आदि की चोकर सहित मोटी रोटी चबा-चबा कर खाएं।

10. भोजन में दलिया, खिचड़ी, मूंग, अरहर की दाल की मात्रा बढ़ाएं।

11. फलों में केले, सेब, अनार, अमरूद, पपीता, आम, खरबूजा तथा सूखे मेवों में मुनक्का, अंजीर, किशमिश, बादाम आदि का सेवन करें।

12. कच्चा केले के सेवन से कब्ज दूर होती है। कच्चा केला आंतो को साफ करता है।

13. भोजन में रोटी से अधिक हरी-सब्जियों का सेवन करें।

14. ककड़ी, शलगम, गाजर, मूली, पालक, मेथी, पता गोभी, बथुआ, प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े कर नीबू का रस मिलाकर सलाद की तरह नियमित खाएं।

15. खाने के साथ टमाटर का सलाद जरुर लें |

16. रात में सोते समय गर्म मीठा दूध मुनक्के के साथ सेवन करें।

17. दोपहर के भोजन के बीच में और अंत में थोड़ा-थोड़ा छाछ पिएं।

18. पेय पदार्थ जैसे शर्बत, सूप, लस्सी, मट्ठा, पानी का अधिक सेवन करें।

19. हल्के गर्म पानी में एक नींबू का रस मिलकर पियें |

कब्ज से बचने  के लिए क्या नहीं खाना चाहिए 

    1. पतले पिसे सादे गेहूं के आटे की रोटियां कम-से-कम खाएं। मोटा पिसा हुआ, बिना छना हुआ मिसी के आटे की चपातियाँ ही खाएं |

2. मैदा तथा मैदा से बने हुए खाद्य पदार्थ जैसे नान , सफेद ब्रेड, पिज़्ज़ा, बर्गर, चाउमीन, तले-भुने हुए खाद्य पदार्थ, अधिक मिर्च-मसाले युक्त खाना, मछली, अंडे, आदि |

3. मीट, अंडा व मछली कब्ज करती हैं। इन्हें दूसरी सब्जियों के साथ मिलाकर खाएं।

4. चावल कम खाएं |

5. केला, सेब, प्याज, मूली, दही आदि रात्रि के भोजन में न खाएं।

6. प्रोसेस्ड फूड में चीनी तथा सोडियम की मात्रा बेहद अधिक होती है और वहीं फाइबर बहुत ही कम होता है।

7. भोजन के पहले , बीच में या आखिर में एक ही बार में अधिक मात्रा में पानी न पिएं।

8. फास्ट फूड, जंक फूड यानी मैदे आदि से बनी चीजों से परहेज करें।

कब्ज दूर करने के लिए क्या करे 

1. 24 घंटों में सुबह-शाम दो बार शौच जाने की आदत डालें।

2. सुबह शौच से पहले एक-दो गिलास पानी पिएं।

3. भोजन के एक घंटा बाद एक-दो गिलास पानी पिएं।

4. सरसों के तेल की पेट पर सुबह-शाम नियमित मालिश करें।

5. पेट में प्रेशर होने पर रोकने का प्रयत्न न करें।

6. भोजन करने के तुरंत बाद मानसिक परिश्रम न करें।

7. मानसिक तनाव, चिंता, क्रोध या दुख की अवस्था में भोजन न करें।

8. दिन में 2 बार खाना खाने के बाद 1 गिलास गर्म पानी घूट-घूटकर चाय की तरह पीने से पुराने से पुराना कब्ज, गैस, में लाभ होता है। कुछ सप्ताह के प्रयोग के बाद लाभ हो जाने पर खाना खाने के बाद गर्म पानी का लेने बंद कर दें। गर्म पानी के प्रयोग के दौरान फ्रिज का ठंडा पानी, अधिक ठंडे पेय, अधिक मिर्च-मसालेयुक्त खाद्य पदार्थ, नशीले पदार्थ आदि से बचना चाहिए।

9. कब्ज के रोगी को दिन में 25-30 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए। कब्ज से सुरक्षित रहने के लिए रोजाना सूर्योदय से पहले बिस्तर से उठकर एक-दो गिलास पानी पीकर कुछ देर इधर-उधर अवश्य घूमना चाहिए।

10. इस बीमारी के निवारण के लिए कब्ज की दवा के नियमित सेवन की आदत न डालें।

    कब्ज दूर करने के आयुर्वेदिक व घरेलु उपय

1. त्रिफला चूर्ण दो चम्मच हल्के गरम पानी में घोल कर नित्य रात्रि में सोते समय लेने से कब्ज की तकलीफ में तुरंत राहत मिलती है।

2. थोड़े गरम दूध या पानी के साथ हरड़, बहेड़ा, और आंवला का समान मात्रा में तैयार किया हुआ चूर्ण रात्री में सोने के पहले रोज लेने से कब्ज की बीमारी दूर होती है।

3. कब्ज़ की तकलीफ दूर करने के लिए मुनक्का एक असरदार उपाय है।

 4. आठ से दस मुनक्का गरम दूध में उबाल कर नित्य सेवन करने से पेट को राहत मिलती है। और मल सरलता से त्याग हो जाता है।

5. पपीता पेट ठीक करने में काफी लाभदायक होता है।

6. सेब तथा अंगूर खाने से भी पेट साफ आता है।

7.  सेब का ज्यूस काफी उपयोगी होता है। सेब का ज्यूस पीने से आंतों की अंदरूनी सतह पर बदबू और संकमण नाशक परत का सर्जन हो जाता है। और सेब का नित्य सेवन अन्य कई बीमारियों से रक्षण प्रदान करता है।

8. आंवला का चूर्ण कब्ज़ को जड़ से मिटा देता है। आंवला का चूर्ण रात्री में सोने से पहले अति गुणकारी है।

9. आंवला कई तरह से ग्रहण किया जा सकता है। आप इसका जूस पी सकते हैं। आंवला को सूखा कर चूर्ण बनाया जा सकता है। और आंवला की चटनी भी बना कर खायी जा सकती है।

10. आंवला के मुरब्बे को खाने के बाद ऊपर दूध पीने से कब्ज में राहत हो जाती है।

11. टमाटर खाने से भी कब्ज़ खत्म हो जाता है। खाने के साथ सलाद में कच्चा टमाटर खाना लाभदायी होता है।टमाटर का सूप भी पिया जा सकता है। टमाटर जिद्दी आंतों में जमे पुराने मल को साफ करने का सटीक उपाय है।

12. बैंगन की सब्जी, चोलाई की सब्जी, पालक की सब्जी, आम, चने, दूध और शहद का मिश्रण मल त्याग वृति को सरल बनाता है।

13. आम का रस निकाल कर पीना उत्तम होता है और उसके ऊपर हल्का गरम दूध भी पीना चाहिए।

14. तांबे के बर्तन में एक चुटकी नमक डाल कर पानी रात भर ढक कर रख कर सुबह में उस पानी को पीने से कब्ज में राहत हो जाती है।

15. हल्के गरम गुनगुने पानी में चुटकी भर नमक मिला कर सोने से पूर्व पीने से भी आंते साफ रहती है। और अशुद्ध जमा हुआ मल शौच के समय आसानी से निकल जाता है।

16. एक चम्मच अरंडे का तेल जीभ पर नमक लगा कर रात को पी जाने / निगल जाने से मल साफ आता है।

17. गिलोय का गुड मिश्रित चूर्ण कब्ज़ में राहत देता है।

18. सब्जी पकाते समय उसमे लहसुन का प्रयोग करने से कब्ज की सम्भावना कम हो जाती है। लहसुन पाचन शक्ति वर्धक और गैस का शत्रु है। इसलिए लहसुन का सेवन नित्य करना चाहिए।

19. गाजर का रस निकाल कर पीना कब्ज में लाभदायक है।

20. काकजंघा और घी का मिश्रण नित्य पीने से उदर रोगों का नाश होता है।

21. पका हुआ लाल खरबूजा और तरबूज पेट को साफ करने में मदद करता है।

22. बथुआ की सब्जी शक्ति वर्धक और कब्ज नासक बताई गयी है।

23. मसूर की दाल कब्ज़ में राहत देती है।

24. मूंग और चावल की ढीली गरम खिचड़ी खाने से भी पेट साफ आता है।

25. पीपल के पत्तों क काढ़ा पीने से भी कब्ज मिटता है। पीपल के लाल चटक फल खाने से भी कब्ज में राहत मिलती है।

26. कब्ज़ में दहीं क सेवन भी फायदेमंद रहता है।

27. गाय का दूध पीने से भी कब्ज मिटताहै।दूध में काली मिर्च के तीन से पाँच दाने मिला कर साबुत निगल जाने से भी कब्ज दूर होता है।

28. दूध में गुलकंद मिला कर, या दूध में मुनक्का मिला कर पीने से भी कब्ज खत्म हो जाता है।

29. नीम कड़वा होता है और संक्रमण नाशक होता है। नीम के फूलों को सूखा कर पीस कर उसका चूर्ण बनाना चाहिए और उसे नित्य सोते समय पानी के साथ लेना चाहिए।

30. करेले के रस में सेधानमक नमक और जीरा मिला कर पीने से भी कब्ज रोग में राहत होती है।

31. कच्चे शलगम खाने से भी पेट साफ आता है।

32. धनिया कब्ज तोड़ने में मदद करता है धनिये की चटनी भी लाभदायी होती है।

33. त्रिफला, अजवायन और सेधानमक क समान मात्रा वाला मिश्रण रात को सोते समय एक चम्मच गरम पानी के साथ रोज लेने से कब्ज में राहत हो जाती है।

34. अदरख, लौंग और सौंठ कब्ज़ मिटाने के राम बाण इलाज है।

 35. अदरख क रस शहद में मिला कर पीना लाभ दायी होता है।

36. सौंठ अजवायन और काला नमक समान मात्रा में मिश्रित कर के मिश्रण तयार कर लें और एक चम्मच सुबह और एक चमच सोने के पूर्व पानी के साथ लेना कब्ज मिटाता है।

37. लौंग अजवायन, काली मिर्च, लाहौरी नमक और मिश्री को समान मात्रा में निकाल कर पीस लें और उसमे नींबू निचोड़ कर सुखाने सुखाने के लिए रख दें। इस मिश्रण को गरम पानी के साथ लेने से पेट की तकलीफ़ों में राहत हो जाती है।

38. दूध और गुलकंद मिला कर पीने से कब्ज मिटता है।

39. नींबू अदरख और शहद क मिश्रित रस आंतों को साफ कर देता है। और कब्ज की शिकायत दूर करता है।

40. अमरूद खाने से कब्ज नहीं होता है। और अमरूद खाने के बाद ऊपर से दूध पीने से पुराने कब्ज की तकलीफ चुटकियों में दूर होती है।

41. सौंठ, दाल चीनी का तेल, इलाईची और और जीरा समान मात्रा में मिला कर पीना कब्ज में लाभदायी होता है।

42. दालचीनी क तेल और शक्कर / चीनी मिला कर पीने से भी कब्ज दूर होता है। यह चूर्ण अजीर्ण की तकलीफ में राहत देता है।

43. तुलसी के पत्ते, अनार, लीची, काजू, मटर, खीरा, बादाम, खजूर, पका केला दही के साथ, हींग, गेहूं के पौधे क रस, संतरा, मेथी, गौमूत्र, केसर, अंजीर, दूध और अंजीर, मूली का रस, मूली के हरे पत्ते, मूली के बीजो का चूर्ण और कच्चा प्याज आदि चीजें पाचन शक्ति अनुसार ग्रहण करने से कब्ज की तकलीफ दूर होती है।

कब्ज के लिए योगासन 

  कपालभाति प्राणायाम धीरे-धीरे एक बार में जितना कर सकें। ऐसे तीन से चार राउंड करने की सलाह दी जाती है। इसे करते समय आंखें बंद रखें और ध्यान पेट पर लगाएं। मन में यह भाव लाएं कि आंतों की क्रियाशीलता बढ़ रही है और कब्ज दूर हो रहा है।

 अग्निसार क्रिया, उर्ध्व हस्तोत्तानासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, मंडूकासन और भस्त्रिका प्राणायाम।

 धनुरासन, उत्तानपाद, पश्चिमोत्तानासन, मत्स्यासन भी कब्ज दूर करने में सहायक होते हैं।

 कोई भी आसन तीन से चार बार कर सकते हैं। मगर गोल्डन रूल यही है कि योग अपनी शक्ति और सार्मथ्य के हिसाब से ही करें, जबरन नहीं। 

दो-तीन दिन में एक बार गुनगुने पानी की एनीमा लें।

 कुछ दिनों के अंतराल पर लघु शंखप्रक्षालन करते रहें। 


क्या होता है लघु शंखप्रक्षालन- सुबह खाली पेट नमक मिला गुनगुना पानी पीकर कुछ विशेष आसन करने होते हैं। उसके बाद मोशन के जरिए पेट की सफाई होने लगती है।

 

मुद्रा विज्ञान के जरिए इलाज

 अपान मुद्रा को एक से पचीस मिनट तक रोजाना करें। 

कब्ज के लिए योगासन करने की प्रक्रिया 

    कपालभाति प्राणायाम करने की प्रक्रिया

अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, आराम से बैठ जाएँ। अपने हाथों को आकाश की तरफ, आराम से घुटनों पर रखें।

एक लंबी गहरी साँस अंदर लें।साँस छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर की ओर खींचे।

 अपने पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले। जितना हो सके उतना ही करें। पेट की मासपेशियों के सिकुड़ने को आप अपने पेट पर हाथ रख कर महसूस कर सकते हैं। नाभि को अंदर की ओर खींचे।

जैसे ही आप पेट की मासपेशियों को ढीला छोड़ते हो, साँस अपने आप ही आपके फेफड़ों में पहुँच जाती है।कपालभाति प्राणायाम के एक क्रम (राउंड) को पूरा करने के लिए २० साँस छोड़े।

एक राउंड खत्म होने के पश्चात, विश्राम करें और अपनी आँखों को बंद कर लें। अपने शरीर में प्राणायाम से प्रकट हुई उत्तेजना को महसूस करें।

कपालभाति प्राणायाम के दो और क्रम (राउंड) को पूरा करें।

 

अग्निसार क्रिया की विधि

सबसे पहले आप खड़े हो जाए और अपने पैरों के बीच मैं आधा फूट का अंतर रखें।

अब आप अपने शरीर के ऊपरी भाग को 60 डिग्री पर झुकाएं तथा हाथों को घुटने पर रखें।

सांस लें और सांस छोड़े।अब आप लंबी गहरी सांस छोड़े और सांस को रोकें।सांस को रोकते हुए आप अपने पेट को आगे पीछे करें।

पेट को आप इस तरह से आगे पीछे करते हैं कि पेट की मांसपेशियों में दर्द होने लगे।

जब आप सांस रोक न पाये तो रुक जाएं आराम करें।फिर से इसी क्रिया को दुहरायें।

इस तरह से आप शुरुवाती दौड़ में 10 से 15 बार करें।

अग्निसार को आप बैठ कर भी कर सकते हैं। आप किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठ जायें। अगर ध्यान मुद्रा में बैठने में परेशानी हो तो आप अपने हिसाब से बैठे। इसमें आप को आगे झुकने की जरूरत नहीं है, आप सीधा रहें और ऊपर बताये गए विधि का अनुसरण करें।


हस्तोसत्ताहनासन योग विधि

सबसे पहले आप पैर आपस में जोड़कर जमीन पर खड़े हो जाएं।आप ताड़ासन में भी खड़े हो सकते हैं।

सांस लेते हुए हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं और अंगुलियों को आपस में जोड़ लें।

ध्यान रहे आपके हाथ आपके सिर से सटा होना चाहिए। ऐसा होने पर उदर के बगल वाले भाग में आप ज़्यदा खिंचाव महसूस करेंगे और साथ ही साथ आपको लाभ भी अधिक मिलेगा।

सांस छोड़ते हुए कमर से बाईं ओर झुक जाएं।कुछ समय इसी मुद्रा में रहें और धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े।

फिर सांस लेते हुए वापस अपनी पहली अवस्था में आ जाएं।इसी प्रक्रिया को दाईं ओर से दोहराएं।यह एक चक्र हुआ।

इस तरह से आप पहले पहले तीन चक्र करें और फिर धीरे धीरे इसको बढ़ाते जाएं।

पवनमुक्तसन की  बिधि 

सबसे पहले आप पीठ के बल लेट जाएं।

दोनों पैरों को फैलाएं और इनके बीच की दुरी को कम करें।

अब दोनों पांव उठाएं घुटने मोड़ें।घुटनों को बांहों से घेर लें।

सांस छोड़े, घुटनों को दबाते हुए छाती की ओर लाएं। सिर उठाएं तथा घुटनों को छाती के निकट लाएं जिससे ठोड़ी घुटनों को स्पर्श करने लगे।

जहाँ’ तक सम्भव हो सके इस मुद्रा को मेन्टेन करें।फिर सांस लेते हुए पैरों को जमीन पर लेकर आएं।यह एक चक्र हुआ।

इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।

भुजंगासन योग कैसे करे

आप सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं।

अब अपने हथेली को कंधे के सीध में लाएं।

दोनों पैरों के बीच की दुरी को कम करें और पैरों को सीधा एवं तना हुआ रखें।

अब साँस लेते हुए शरीर के अगले भाग को नाभि तक उठाएं।

ध्यान रहे की कमर पर ज़्यदा खिंचाव न आये।अपने हिसाब से इस आसान को बनाए रखें।

योगाभ्यास को धारण करते समय धीरे धीरे स्वाँस लें और धीरे धीरे स्वाँस छोड़े।

जब अपनी पहली अवस्था में आना हो तो गहरी स्वाँस छोडते हुए प्रारम्भिक अवस्था में आएं।इस तरह से एक चक्र पूरा हुआ।

शुरुवाती दौर में इसे 3 से 4 बार करें।धीरे धीरे योग का धारण समय एवं चक्र की नंबर को बढ़ाएं।

मंडूकासन योग विधि

सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं।

अब आप मुठ्ठी बांधएं और इसे आपने नाभि के पास लेकर आएं।

मुट्ठी को नाभि एवं जांघ के पास ऐसे रखें कि मुट्ठी खड़ी हो और ऊँगलियाँ आपके उदर के तरफ हो।

सांस छोड़ते हुए आगे झुकें, छाती को इस प्रकार नीचे लाएं कि वह जांघों पर टिकी रहे।

आप इस तरह से आगे झुकें कि नाभि पर ज़्यदा से ज़्यदा दबाब आए।

सिर और गर्दन उठाए रखें, दृष्टि सामने रखें।धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे सांस छोड़े और यथासंभव इस स्थिति को बनाये रखें।

फिर सांस लेते हुए अपनी सामान्य अवस्था में आएं और आराम करें।यह एक चक्र हुआ।

आप शुरुवाती दौड़ में इसे 3-5 बार कर सकते हैं।

भस्त्रिका प्रयाम बिधि 


सबसे पहले आप पद्मासन में बैठ जाए। अगर पद्मासन में न बैठ पाये तो किसी आराम अवस्था में बैठें लेकिन ध्यान रहे आपकी शरीर, गर्दन और सिर सीधा हो।

शुरू शुरू में धीरे धीरे सांस लें।और इस सांस को बलपूर्वक छोड़े।अब बलपूर्वक सांस लें और बलपूर्वक सांस छोड़े।

यह क्रिया लोहार की धौंकनी की तरह फुलाते और पिचकाते हुए होना चाहिए।

इस तरह से तेजी के साथ 10 बार बलपूर्वक श्वास लें और छोड़ें।इस अभ्यास के दौरान आपकी ध्वनि साँप की हिसिंग की तरह होनी चाहिए।

10 बार श्वसन के पश्चात, अंत में श्वास छोड़ने के बाद यथासंभव गहरा श्वास लें। श्वास को रोककर (कुंभक) करें।फिर उसे धीरे-धीरे श्वास को छोड़े।

इस गहरे श्वास छोड़ने के बाद भस्त्रिका प्राणायाम का एक चक्र पूरा हुआ।

इस तरह से आप 10 चक्र करें।

धनुरासन योग की विधि

सबसे पहले आप पेट के बल लेट जाए।सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़े और अपने हाथ से टखनों को पकड़े।

सांस लेते हुए आप अपने सिर, चेस्ट एवं जांघ को ऊपर की ओर उठाएं।

अपने शरीर के लचीलापन के हिसाब से आप अपने शरीर को और ऊपर उठा सकते हैं।

शरीर के भार को पेट निचले हिस्से पर लेने की कोशिश करें।जब आप पूरी तरह से अपने शरीर को उठा लें तो पैरों के बीच की जगह को कम करने की कोशिश करें।

धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े। अपने हिसाब से आसन को धारण करें।

जब आप मूल स्थिति में आना हो तो लम्बी गहरी सांस छोड़ते हुए नीचे आएं।

यह एक चक्र पूरा हुआ।इस तरह से आप 3-5 चक्र करने की कोशिश करें।


उत्तानपादासन विधि

जमीन पर आराम से लेट जाएं और पांव फैला लें।

 पैरों की बीच दुरी नहीं होनी चाहिए।

हाथ शरीर के निकट रखे रहने दें।

सांस लेते हुए पांवों को मोड़े बगैर धीरे-धीरे 30 डिग्री पर उठाएं।

धीरे धीरे सांस लें और फिर धीरे धीरे सांस छोड़े और इसी मुद्रा में रहें।

लम्बा सांस छोड़ते हुए दोनों पांव नीचे लाएं।यह चक्र हुआ।

इस तरह से आप 3 से 5 चक्र करें।








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